UP Transfer Policy: यूपी में समूह ’क’ और ’ख’ अधिकारी, जो किसी एक जनपद में 23 वर्ष पूरे कर चुके हैं, उन्हें अब वहां से हटाया जाएगा। साथ ही जो कर्मचारी एक ही मंडल में 7 साल पूरे कर चुके हैं, उन्हें दूसरे मंडल में भेजा जाएगा। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक में नई तबादला नीति को लागू कर दिया गया है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2025-26 के लिये यूपी की राज्य सरकार ने सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की नई स्थानांतरण नीति को जारी कर दिया है।
साथ ही यह भी बता दे कि मंडलीय कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को तीन वर्ष के बाद अनिवार्य रूप से स्थान्तरित किया जाएगा। यह भी जानकारी दे दे कि गु्रप ’क’ और ’ख’ में अधिकतम 20 प्रतिशत तथा गु्रप ’ग’ और ’प’ में अधिकतम 10 प्रतिशत कर्मचारियों के तबादले ही किए जाएंगे।
UP Transfer Policy: वर्ष 2022 के शासनादेश का होगा पालन
बीते 13 मई 2022 के शासनादेश का पूर्ण रूप से पालन अनिवार्य होगा। यह प्रक्रिया अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार गुप ’ग’ कर्मचारियों के तबादले का पालन होगा। साथ ही ग्रुप ’ख’ और ’ग’ के कर्मचारियों के तबादले ऑनलाइन मेरिट आधारित प्रणाली के अनुसार होंगे। इसी के साथ ही दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को ऐसी जगह स्थानांतरण मिलेगा जहां चिकित्सा और देखभाल की सुविधा हो। वहीं राज्य के 34 जनपदों के 100 आकांक्षी विकासखंडों में अफसरों की संतुलित तैनाती सुनिश्चित की जाएगी।
UP Transfer Policy: नई तबादला नीति से सरकारी तंत्र में आएगी पारदर्शिता
सरकार की नई तबादला नीति लागू होने से एक और तो वर्षों से जमे अधिकारियों और कर्मचारियों में बैचेनी होगी, साथ ही सबसे अच्छा इसका असर यही होगा कि जो वर्षों से एक ही जनपद में कार्यरत कर्मचारी जमे हुये हैं उन्हें हटाकर नई तरह से विभाग में पारदर्शिता आएगी। सरकार ने तबादला नीति को लागू करते हुये एक तरफ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का कार्य किया है।